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बालाजी धाम व अन्य धार्मिक मन्दिर का इतिहास

श्री बालाजी धाम मंदिर के निर्माण की प्रेरणा स्वयं बालाजी महाराज ने सुन्दर सिंह भक्त के मन में जागृत की एवं ऑडी राह वाले बालाजी धाम के निर्माण की प्रक्रिया शुरू करवाई । भक्तों ने श्री बालाजी महाराज के आदेश अनुसार आडी राह वाले बालाजी धाम मंदिर की समिति का गठन किया, उसके बाद मंदिर की आधारशिला दिनांक 27 अप्रैल 2021 को बड़े धूमधाम के साथ व विधि विधान से की गई जिसमें सभी ग्राम वासियों ने बड़े उत्साह के साथ अपना सहयोग किया।

श्री बालाजी धाम मंदिर हरियाणा के पलवल जिले के अंतर्गत होडल हसनपुर रोड पर स्थित ग्राम भेंडौली में डराना होडल रोड पर निर्माणाधीन है। यह मंदिर होडल से लगभग 12 किलोमीटर, हसनपुर से लगभग 4 किलोमीटर व पलवल से लगभग 34 किलोमीटर है। इसके नजदीक ग्राम भेंडौली का प्राचीन श्री बांके बिहारी मंदिर स्थित है। यह मंदिर श्री बालाजी महाराज के अन्य धामों की तरह बालाजी महाराज का स्वयं सिद्ध धाम है यहां पर आने वाले हर भक्त की मनोकामना स्वयं बालाजी महाराज पूरी करते हैं, जो भी भक्त यहां आकर के अपनी अर्जी लगाता है, उसकी अर्जी स्वयं बालाजी महाराज पूरी करते हैं । भक्तों की सुविधा के लिए यहां रहने का विशेष प्रबंध, भंडारे की सुविधा, चिकित्सा सुविधाएं एवं प्रबंध समिति द्वारा भक्तों को अन्य आवश्यक सुविधाएं निशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। मंदिर के सामने ही एक बडा सुंदर तालाब है,जिसके चारों हरियाली व हरी भरी घास है। मंदिर के प्रांगण में व आसपास दुर्लभ व पवित्र पौधे लगाये गये हैं। ऐसा मनोहारी नजारा अन्यत्र दुर्लभ है।

यह स्थान पहले चौड़े रावत वन के नाम से जाना जाता था। भगवान श्री कृष्ण अक्सर गाय चराते हुए यहां अनेक प्रकार की लीलाएं किया करते थे । इस मंदिर के मध्य में स्वयं ठाकुर जी महाराज ने अपने कर कमलों से एक सरोवर का निर्माण किया था ,जोकि आज भी मौजूद है और भक्तों की हर मनोकामना को पूर्ण करता है। इसी पावन चौंड़े रावत वन में बाद में अनेक दिव्य संत महात्माओं ने तप किया है और आज भी अनेक दिव्य संत लता -पताओं के रूप में और वृक्षों के रूप में यहां तपस्या कर रहे हैं, जिनमें प्रमुख हैं बाबा दादा बूढरा जोकि ग्राम भेन्डौली के संस्थापक माने जाते हैं और यहां के ग्राम देवता भी हैं जिनकी पूरी बस्ती में बहुत बड़ी मान्यता है इन्होंने अनेकों स्थानों पर तपस्या की परंतु ठाकुर जी की इस पवित्र लीला स्थली में उन्होंने स्वयं को ठाकुर जी में लीन कर लिया । इनको बनी वाले भी कहतेहैं।श्रीमद्भागवत में प्रसंग आता है की जब शंखचूड असुर गोपियों का हरण करके भाग रहा था तब ठाकुर जी ने बलराम जी व अन्य सखाओं के साथ उसका पीछा किया और यहां आकर शंखचूड़ को पकड़ लिया । पकड़ लिया शब्द को आम भाषा में भिड़ लिया कहते हैं । भिड लिया से बदलते हुए यह गांव भैंडोली के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

श्री बांके बिहारी मंदिर की शोभा सबसे निराली है ।पूरे ब्रज क्षेत्र में एवं दिल्ली से मथुरा के मध्य में ऐसा सुंदर व हरा भरा मंदिर अन्यत्र नहीं है । यह मंदिर लगभग 12 एकड़ भूमि मैं फैला हुआ है। यहां आज भी हजारों वर्ष पुराने वृक्ष हैं जिनके बारे में संतो ने बताया है की यह वृक्ष स्वयं संत हैं जोकि ठाकुर जी की लीलाओं का दर्शन किया करते थे एवं तभी से यहां पर बरगद ,कदम्ब, सिरस व पीपल के रूप में तथा अनेक प्रकार की लता पता के रूप में आज भी तपस्या रत हैं । इसी कारण यहां किसी भी हरे भरे पेड से लकडी भी नही तोडी जाती है। पवित्र देवभूमि में अनेकों संतो ने जीवन भर ठाकुर जी का ध्यान किया है एवं भगवान का साक्षात्कार भी किया है इनमें प्रमुख हैं परम पूज्य गुरुदेव धर्मदास जी महाराज जिन्हें पीली पिछोरी वाले बाबा व गोपाल भैया के नाम से भी संत समाज में जाना जाता है , जिनके आज भी हजारों शिष्य हैं इनके अतिरिक्त बाबा बिहारी दास जी महाराज ने अपना संपूर्ण जीवन यहां तपस्या व सेवा में बिताया है। इनके अतिरिक्त दौआ बाबा ,जीवन दास बाबा ,ठडेश्वरी महाराज व अनेकों संतो ने ठाकुर जी की सेवा की है।

श्री बांके बिहारी जी मंदिर के मध्य में अनेकों दर्शनीय स्थान है, जिनमें दादा बूढरा मंदिर, शिव मंदिर ,शनिदेव मंदिर, 25 फुट ऊंचे हनुमान जी ,महाराज बाबा बिहारी दास की जी की समाधि , बाबा धर्मदास जी महाराज पीली पिछोरी वाले बाबा की समाधि व मंदिर ,अखाड़े वाले छोटे हनुमान जी ,सती मंदिर व अनेकों संत महात्मा जोकि यहां पर लता -पताओं के रूप में तपस्या रत हैं के दर्शन होते हैं। वर्तमान में इस मंदिर की देखरेख व सेवा का कार्य बाबा पीली पिछोरी वाले बाबा के शिष्य महंत किसनदास जी महाराज की देखरेख में संत बजरंग दास जी व मंदिर की समिति कर रही है। बांके बिहारी जी मंदिर से लगभग आठ किलोमीटर दूर जटौली गाँव में माता मसाणी देवी का प्राचीन मंदिर है। इसके अलावा यहां से लगभग दस किलोमीटर दूर यमुना महारानी जी बह रही हैं जिनके दर्शन, स्नान व नाम उच्चारण से ही यमराज का भय नहीं रहता है। इसके अलावा मथुरा वृंदावन, गोवर्धन जैसे पावन तीर्थ स्थल भी यहां से लगभग साठ किलोमीटर के दायरे में आते हैं। भगवान लक्ष्मी नारायण जी का प्रसिद्ध शेषसाई मंदिर भी यहाँ से लगभग आठ किलोमीटर दूर है। यहाँ पर भगवान के शेषनाग की शैय्या पर लेटे हुए व लक्ष्मी जी के द्वारा चरण दबाते हुए दुर्लभ दर्शन होते हैं । हरियाणा का प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस डबचिक जो कि होडल शहर में है,वह भी यहाँ से मात्र 12 किलोमीटर है। शनिदेव भगवान का प्रसिद्ध कोकिलावन धाम मंदिर भी मात्र 31 किलोमीटर दूर पर स्थित है।