ग्राम भेन्डौली के मुख्य बांके बिहारी मंदिर से ही लगता हुआ परम संत बाबा पीली पिछोरी वाले महाराज का आश्रम है। इस पावन स्थान पर परम संत बाबा पीली पिछोरी वाले महाराज जी ने तपस्या की थी एवं ठाकुर जी का साक्षात्कार किया था। संत समाज में पीली पिछोरी वाले बाबा का सबसे श्रेष्ठ स्थान रहा है । संत समाज में इन्हें धर्मदास बाबा गोपाल भैया आदि नामों से भी जाना जाता है । संपूर्ण संत समाज पीली पिछोरी वाले बाबा का सम्मान संत शिरोमणि के रूप में करता रहा है । इनकी जन्म भूमि हरियाणा के पलवल जिले के अंतर्गत धामाका नामक ग्राम में है । युवा अवस्था में ही महाराज श्री ने वैराग्य धारण कर लिया था। उसके बाद ग्राम भेन्डौली में चौंढे रावत बनी में आकर घोर तपस्या की। सर्वप्रथम एक गुफा बना कर महाराज जी ने यहां तप किया एवं चौंढेरावत बनी का पुनरुद्धार किया । इस वन में अधिकतर वृक्ष महाराज श्री ने ही लगाए हैं । उन्हीं के प्रयासों से यह वन व बांके बिहारी मंदिर प्रसिद्ध हुआ है। आज जो भी शोभा यहां दिखाई देती है वह सब पीली पिछोरी वाले बाबा की देन है । महाराज जी के अनेकों शिष्य हैं एवं अनेकों स्थान हैं। भक्तों के मध्य महाराज श्री के अनेकों चमत्कार आज भी चर्चा में रहते हैं । आज भी गुरु पूर्णिमा एवं उनकी पुण्यतिथि पर यहां हजारों की भीड़ होती है एवं भजन कीर्तन यज्ञ हवन व भंडारा होता है । दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने के लिए आते हैं । उनकी शिष्य परंपरा में भागीरथ दास महाराज, किशन दास महाराज ,कल्याण दास महाराज ,मुखराम दास महाराज , रामदास महाराज आदि विरक्त शिष्य हुए हैं । जयदेव शास्त्री इस परंपरा में भागवत आचार्य हुए हैं । भेन्डौली आश्रम की गुरु गद्दी की परंपरा श्री महंत किशन दास जी महाराज ने संभाली हुई है। उन्हीं की देखरेख में दोनों मंदिर नित्य प्रगति कर रहे हैं। एवं भक्तों की मनोकामनाएं पूरी कर रहे हैं